वो फेर रहीं उंगलियां ,
जिस सिद्दत से ,
किसी के लिए छिपा ,
शायद उसमे कोई पैगाम होगा ।
होगा वो शख्स ,
बेहद खुशकिस्मत ,
दिल में उनके ,
जिसका नाम होगा ।
कुछ तो खूबसूरत ,
और भी पैगाम होगा ,
शायद जिक्र जिसका ,
किसी और शाम होगा ।
बताना हो गर फुर्सत कभी ,
उनके भी बारे में ,
कौन है वो शख्स ,
जो जानता है मेरे बारे में।
क्योंकि इश्क़ तो दिल से ,
दिल तक जाने वाला एहसास हैं ,
गर धड़क जाए तो अमर ,
वरना एकतरफा ही खास है ।
फेरती उंगलियों में छिपे ,
वो कौन से जज़्बात है ,
लग रही हुबहू उंगलियों उनके जैसी ,
हाथों में थामा हमने जिनका हाथ है ।।
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