Friday, August 13, 2021

पेशेवर

हर रोज़ तुझसे फरियाद लगाता था ,
तेरी झूठी कसमें खाता था ,
होकर भी आबाद बहुत ,
खुद को बर्बाद बताता था ।

कहता था बगैर तेरे ,
मैं जी नहीं पाऊंगा ,
मत जाओ ना छोड़ कर मुझे ,
मैं मर जाऊंगा ।

हम दोनों एक से तो लगते थे ,
दास्ताने मोहबब्त जब कहते थे ,
और ये खालीपन भी तो भरने लगा था ,
जबसे तू मेरे दिल में रहने लगा था ।

रात में वो लंबी लंबी बातें ,
दिन में छोटी छोटी मुलाकाते ,
शाम की वो दो कप चाय ,
और हाले दिल क्या ही बताएं ।

तुम अब मुझमें हर पल हर लम्हा ,
कुछ ऐसे खोने लगी थी ,
दुनिया को छोड़ कर,
बस मेरी होने लगी थी ।

मैं बस तुम्हें इश्क में ,
बर्बाद करने आया था ,
टूटी तो तुम पहले से थी ,
इस बार बिखेरने आया था ।

मैं फिर चला किसी को ,
झूठी कहानी सुनाने ,
अपनी आबाद जिंदगी को ,
बर्बाद बताने ।

आया था ना मैं किसी रोज़ ,
आप के जिंदगी में भी ,
ऐसे इश्क़ निभाने को,
टूटे हुए दिल को,
बिखेर जाने को।

बेवफा बता कर इस बार तुझे ,
उससे वफा निभाऊंगा ,
मन भर जाने पर ,
तुझ जैसे उसे भी छोड़ जाऊंगा ।।

No comments: