Sunday, August 29, 2021

झुमके सा इश्क़

ये एहसास क्यों ,
कुछ नया सा शोर कर रहा ,
पहली दफा कोई अजनबी ,
हुबहू आप सा लग रहा ।

ना ही हुआ राब्ता ,
उनके हुस्न से हमारा कभी ,
इत्तेफ़ाक देखो छोड़ कर मुझे,
इस महफिल में उन्हें पहचानते सभी ।

बातों बातों में कुछ बातें ,
उस रोज़ हम उनसे कह गए ,
वो हमें सुनती रहीं खामोशी से ,
और हम दिल में शोर कर गए ।

गुजरते वक्त के साथ ,
दौर भी बदलने लगें ,
उनके झुमके भी धडकनों सा ,
अब कुछ शोर करने लगे ।

ना मिली निगाहें अब तक ,
ना ही दिलों के मिलने का इरादा है ,
अधुरा कुछ नहीं दर्मिया हमारे ,
आखिर फिर क्या आप का इरादा है ।

हुस्न से घायल और कितना करेंगी ,
जरा आप खुल कर बताइए ,
झुमको से मोहबब्त तो लाज़मी है ,
एक दफा झुमका बन कर दिखाइए ।

कितना शोर होगा उस रोज़ ,
जब कभी हवा के झोंके ,
आप से टकराएंगे ,
महकती खुसबू फिज़ा में आप की ,
हमें खामोश कर जायेंगे ।।

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