Tuesday, August 31, 2021

लबों पर जिंदगी

सब कुछ जिंदगी से ,
जब छुटने लगा था ,
मीत भी मेरा मुझसे ,
अब रूठने लगा था ।

हर रात लगती थी लंबी ,
और दिन आता ही नहीं था ,
आंखो में कभी बहते आंसू ,
कभी मैं पलके झुकाता ही नहीं था ।

पर आज का सूरज ,
एक तौफा लेकर आया है ,
तेरे झुमको सा शोर ,
इस दफा तेरे लबों ने मचाया है ।

लगा जैसे जिंदा लाश को ,
किसी ने कब्र से निकाला हो ,
और दूसरी दफा जिंदगी जीने का ,
हौसला दे डाला हो ।

ना ही कोई मंजिल ,
ना ही कोई मुकाम है ,
फिर भी ना जाने क्यों ,
वो चांद पर मेहरबान है ।

ये सिलसिला जो शुरू हुआ ,
अब कब्र से निकल तो जाऊंगा ,
पर गर ना मिली मंजिल कभी ,
तुझमें दफ्न हो जाऊंगा ।

कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते ,
कुछ रिश्ते आम नहीं होते ,
कुछ रिश्तों में जिंदगी होती है ,
कुछ रिश्तों में बंदगी होती है ।

ऐसे ही इश्क़ में लोग ,
बेवजह कुर्बान नहीं होते ,
हर दफा इश्क़ करने वाले ,
अजनबी और अंजान नहीं होते ।।

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