Saturday, August 21, 2021

कल्पना

देखो मेरे जिंदगी में ,
खूबूसरत कल्पना बन कर ,
ये कौन आया है ,
जो ढेरों खुशियां लाया है ।
 
सुबह भी उसका ही दीदार होता ,
हर शाम उसी से दिले इज़हार होता ,
मेरे गम भी उसके ही होते ,
खुशियों में भला वो क्यों ना होते ।

ना हम करते बातें बहुत ,
ना वो कुछ कहने को आते  ,
हर दफा जब कभी हम ,
जज्बातों में उलझ जाते ।

थाम कर हाथ उसका पहली दफा ,
हम जब उसके करीब आए थे ,
आंखो की शरारत और मुस्कुराहट के ,
असल मायने समझ पाए थे ।

आज वो पहली दफा ,
जब मेरी बाहों में थी ,
ना जाने क्यों लौटने की जिद्द ,
उसके राहों को थी ।

गुजरते वक्त के साथ ,
सब खूबसूरत लगने लगा है ,
कल्पना वाली इस मोहबब्त से ,
इश्क़ होने लगा है ।।

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