Tuesday, October 5, 2021

तुम और सुकून

पहाड़ की ऊंचाइयों पर ,
जब तुम आकर मेरे गले लगे थे ,
सर्द पड़े उस मौसम में भी ,
बर्फ पहाड़ों से पिघल रहे थे ।

तुम्हारी आंखों में थी जन्नत ,
और कई खूबसूरत ख़्वाब ,
जीने लगे थे जो इस पल में ,
तुम उठा कर नकाब ।

तुम्हारे होठों पे मुस्कुरहाट ,
और पलकों की शरारत ,
जुल्फ भी तुम बिखेर रहे थे ,
जब मेरा होने को पास आ रहे थे ।

थाम कर हाथ मेरा जब ,
तुमने चलना शुरू किया ,
रोक कर कही बीच रास्ते ,
मेरे लबों को छू लिया  ।

खुले आसमां में ख्वाइश ,
जब अपनी वो पूरी कर रहे थे ,
अमावस की रात में भी ,
चांद को चमकता देख रहे थे ।

बढ़ते कदम घर की ओर ,
धड़कनों को बढ़ाने लगे था ,
अरसे बाद फिर इस दिल में ,
वो घर बसाने लगे थे ।

पहाड़ों पर बर्फ की चादर ,
अब पिघलने लगी है ,
सूरज की किरणों से ,
जबसे वो मिलने लगी है ।

तेरे साथ सा खूबसूरत ,
कोई और लम्हा क्या होगा ,
तेरी बाहों में सुकून ,
जिसमें पूरा जहां होगा ।

मिल गई खुशियां मुझे ,
और इश्क़ की सौगात ,
था मेरे हिस्से जो छूट गया ,
वो एक खूबसूरत रात ।।

No comments: