Saturday, October 16, 2021

अजनबी जिंदगी

आज सुबह मैं मिला तुमसे ,
एक अजनबी बन कर ,
शाम को थी तुम साथ मेरे ,
मेरी जिंदगी बन कर ।

पता ही नहीं वक्त गुजरा कैसे ,
और हम दोनों भी थम गए ,
मंजिल का पता नहीं ,
बस हम राही बन गए ।

रात कटने से भी ना कटे ,
और दिन के आने का इंतजार ,
क्या खूबसूरत लग रहा ,
जब हो रहा दिल बेकरार ।

तेरी कही हर बात मुझसे ,
जुड़ी हर याद जिससे ,
सब कुछ हुबहू मेरे जहन में जिंदा है,
दिल का तो भरोसा नहीं ,
वो तो एक परिंदा है ।

फूल की वो कली हो तुम ,
जो अब खिलने को आ रही है ,
फिज़ा में घुल कर खुशबू जिसकी ,
मेरी जिंदगी को महका रही है ।

पल भर की खुशी कहूं तुम्हें ,
या जिंदगी भर की याद ,
गुजर कर भी जिंदा है मुझमें ,
हमारी वो खूबसूरत रात ।।

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