Tuesday, October 5, 2021

तौबा

डर लगता है मुझको वादों से ,
क्या सच में जिन्हें निभा पाऊंगा ,
या चंद लम्हों की ख्वाइश लिए ,
तोड़ जिन्हें कही और उड़ जाऊंगा ।

पल भर की होगी खुशी ,
या गम की दास्तां मैं सुनाऊंगा ,
जब करने मोहब्बत का वादा ,
कभी तेरे पास आऊंगा । 

मुझे भरने हैं घाव अपने ,
तेरे जख्म की परवाह नहीं ,
इश्क़ में मुझ जैसा मामूली है ,
तू कोई खुदा नहीं ।

जब तक हासिल होता नहीं,
तुझे पाने की मन्नते मांगता हू ,
मिल जाती है जैसे ही मोहब्बत तेरी ,
गैर से दिल लगाता हू ।

इश्क़ में भूखा और प्यासा ,
सिर्फ आशिक ही नहीं सोता ,
कई दफा दगेबाज़ी मिलने का बाद ,
हाल महबूब का भी यही होता ।

बस ऐसे ही कुछ ख्याल ,
मेरा दिल तोड़ जाते हैं ,
हर दफा जब इश्क़ में ,
वादा करने का मन बनाते हैं ।।

No comments: