Thursday, October 14, 2021

शुक्रिया मत कहना

चुपके चुपके आज कल ,
मैं तुझे निहारने लगा हू ,
बिना इजाज़त के भी ,
तेरा नाम पुकारने लगा हू ।

तुझसे दिल लगी अजब सी ,
और ये कैसी बेकरारी है ,
मुकमल इश्क़ मेरे हिस्से में ,
फिर भी क्यों चढ़ी तेरी खुमारी है ।

चांद की रौशनी बन कर ,
जगमगाने तू आई है ,
मेरे रात के अंधेरे को ,
रौशनी से भर आई है ।

कुछ तो बहुत अलग बात है ,
जो दिल मेरा इतना बेताब है ,
वरना गुजरते है बहुत महफिल से ,
जुड़ते क्यों नहीं मेरे सबसे जजाब्त हैं ।

मौजूदगी ऐसे ही महफ़िल में ,
तेरी बस बनी रहे हर रोज़ ,
मिल जाए शायद मेरी खुशी ,
मुझे भी किसी रोज़ ।

तुझसे कोई और फरियाद ,
अब मैं नहीं करूंगा ,
खामोश रहना मंजूर मुझे ,
बस शुक्रिया नहीं सुनूंगा ।।

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