Thursday, October 28, 2021

सच कहूं तो

सच कहूं तो तुमसे ,
अभी कुछ कहा ही कहां है ,
पहली दफा लिखा हर शब्द ,
अभी तुमने जिया ही कहां है ।
 
सच कहूं तो तुमसे ,
कुछ भी तो नहीं छिपा हैं ,
पहली नजर का पहला असर ,
अब तक मुझ पर हो रहा हैं ।

सच कहूं तो तुमसे ,
अभी और भी बहुत कुछ कहना हैं ,
तेरे खिलखिलाहट का इंतजार ,
ना जाने कब तक करते रहना है ।

सच कहूं तो तुमसे ,
तुम्हारा जिक्र दिल को होने लगा है ,
पर दिल का क्या पता ,
शायद वो किसी और में खोने लगा है ।

सच कहूं तो तुमसे ,
हां सच में खुमारी चढ़ने लगी हैं ,
पास तो तुम आई नहीं कभी ,
पर अब दूरी बढ़ने लगी हैं ।

सच कहूं तो तुमसे ,
उलझन अब मेरी बढ़ने लगी है ,
तुम्हें उलझाने की कोशिश में ,
मेरी जिंदगी उलझने लगी है ।

सच कहूं तो .... आगे ,
कुछ कहने को बचा ही कहां हैं ,
शोर के इंतजार में बैठा मुसाफ़िर ,
अब खामोश होने लगा है ।।

No comments: