तेरी हर अदा में ये ,
कुछ अलग सा जादू है ,
जितनी दफ़ा देखू तुम्हें ,
हो रहा दिल मेरा बेकाबू है ।
जु़ल्फ़ को चहरे से झटकना ,
नैनों का बेसुध हो कर मटकना ,
ख्याल कुछ खूबसूरत बुन रही थी ,
जब दुनिया तुम्हें सुन रही थी ।
तुम अपनी और भी अदाओं से ,
हमें घायल करती हो ,
हर दफ़ा शुक्रिया कहने का ,
जब जुल्म़ करती हो ।
इश्क़ भी तुम खुद से ,
क्या खूब करती हो ,
हर दफा जब आईने में ,
अपने महबूब से मिलती हो ।
क्या हर दफा़ तुम ऐसे ही ,
मुझे शिद्दत से मिलोगी ,
या फिर किसी हड़बड़ी में ,
मुझे नज़रअंदाज़ करोगी ।
कहा है क्या कभी किसी ने तुमसे ,
तुम्हारी मुस्कुराहाट कातिलाना है ,
जिंदगी की चाहत में हमारा भी ,
एक रोज़ कत्ल हो जाना है ।
समय ने ये क्या कर दिया ,
एक पल में काया बदल दिया ,
मायूस हो चले इस जीवन को,
तुमने अपनी मुस्कुराहट से भर दिया ।।
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