Sunday, October 31, 2021

ख़्वाहिश

इश्क़ छोड़ कर जिसको ,
आज तक सब मिला हैं ,
देखो ना आज भी वो ,
किस तन्हाई से गुजर रहा हैं ।

हर शख्स में वो जिस शख्स को ,
अक्सर ढूंढती हैं ,
हर दफा किसी और शख्स से ,
जा कर जुड़ती है ।

मुकमल इश्क़ की कहानियां ,
दुनिया उसे खूब सुनाती है ,
पर वो खुद कहां ,
कभी इश्क़ को मुकम्मल पाती है ।

उलझन में उलझ कर ,
सवालों के पोटली भूल जाती हैं ,
हर दफा जब मिलने उससे ,
आख़िरी दफा समझ कर जाती है ।

मुस्कुराहट पर मरने वाले बहुत हैं ,
पर जीने वाला अब तक कहां मिला हैं ,
आज भी है जिंदगी में संग कोई ,
पर साथ निभाने वाला कहां है ।

उसकी खामोशी को पड़ कर ,
लब पर अल्फाज़ बिखर जाते हैं ,
न जाने बिन कुछ कहे अक्सर ,
लोग ऐसे ही जिंदगी से चले जाते हैं ।

गर सच नहीं तो ख़्वाब में सही ,
वो साथ किसी का चाहती हैं ,
हर दफा सच की ख्वाइश में ,
अपना ही ख़्वाब तोड़ आती है ।।

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