Friday, October 8, 2021

मधुरिमा

मधुरिमा की ये खूबसूरत सौगात ,
आज हम सब को खुशनसीब,
देखो बना रही है ,
दिल से गा कर जब दिल चुरा रही है ।

सुर में संगम है जिसके ,
साज भी मस्त मलंग है ,
हया के चादर ओढ़े ,
ये कौन खूबसूरत नज़्म है ।

अल्फाज़ बस बन कर तस्वीर ,
खुद पन्नों पर उतर आए ,
जिन लम्हों को तुमने ,
अपने संगीत से सजाए । 

दिल के बिखरे टुकड़े तुम्हारे ,
क्या खूब तुम जिन्हें छिपाती है ,
बेहद ही सादगी से अक्सर ,
धुन नया जिन्हें दे जाती हो ।

इश्क़ को मुकम्मल नहीं ,
तुन्हें उसे मुमकिन बनाना है ,
दर्द में कैसे मुस्कुराते हैं अक्सर ,
तुम्हें दुनिया को सीखना है ।

अब तक टुकड़ों में मिली खुशियां ,
और बिखरे तुम्हारे जज़्बात हैं ,
बस रखना भरोसा वक्त पर अपने ,
वो आज भी तुम्हारे साथ है ।।

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