Wednesday, October 13, 2021

गुस्ताखी

तेरे मुस्कराते चेहरे के पीछे ,
एक मायूस दिल बैठा है ,
धड़कता था जो जोर जोर से ,
आज कल खामोश बैठा है ।

तेरे झुमके , तेरा काजल ,
और बिखरी जुल्फें तेरी ,
सब कुछ बता रहे हैं ,
तेरा हाल-ए-दिल सुना रहे हैं ।

दिल लगाती जितनी शिद्दत से तुम ,
तोड़ता उसे वो उतनी जोर से ,
तू करती मोहब्बत उससे ,
वो करता किसी और से ।

तुम तलाश में जिंदगी के ,
दिल अक्सर लगाती हो ,
खुद के जख्मों पर मरहम की आस में ,
उन्हें और घायल कर जाती हो ।

वैसे भी दिल तेरा कहां कोई ,
ऐसे ही चुरा पाता है ,
जब तक पूरी तरह तेरे दिल में  ,
वो उतर नहीं जाता है ।

मुस्कुराते तस्वीर को तेरे ,
सब सच मान बैठे हैं ,
इस महफिल में इकलौते हम ,
जिसे झूठ मान बैठे हैं ।

है और भी गुस्ताखी मेरे हिस्से ,
करते जिसे हम जाएंगे ,
अगली दफा जब कोई और झूठी ,
तस्वीर वो लगाएंगे ।।

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