Sunday, October 10, 2021

दगेबाज

दिल में कुछ हलचल तो है मेरे ,
पर ये मलाल कैसा हैं ,
इश्क़ गर जवाब है सबका ,
तो ये सवाल कैसा है ।

मेरे मर्ज की दवा ना सही ,
ज़ख्म भी तो मत बढ़ाओ ,
दुआ ना करो मेरे लिए ठीक  ,
बद्दुआ तो मत दे जाओ ।

तुमसे मिला था जिस हाल में मैं ,
वो हाल अब मेरा हो चला हैं ,
कत्ल तेरी मोहब्बत का हुआ था तब ,
अब तू मेरी मोहब्बत का कर चला है ।

तेरी आंखों में सिवाए आंसू के ,
कुछ भी तो नहीं बचा था ,
महबूब छोड़ कर जबसे तेरा ,
तुझसे दूर हो चला था ।

कह कर माथे पर सजाने को बिंदी ,
बस इकलौता जुल्म मैंने किया था ,
उस रोज़ तूने मेरा ये हक भी ,
मुझसे छीन लिया था ।

गम मुझे तेरे जाने का नहीं ,
मेरे रहने का मुझे सताता है ,
बेवक्त अक्सर बीच रास्तों में ,
छोड़ कर तू यूहीं चला जाता है ।

दगेबाज .. मोहब्बत में तुम ,
कब तक ऐसे ही सताओगे ,
मरहम देने वाले के हिस्से में ,
ज़ख्म छोड़ कर जाओगे ।।

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