Friday, November 12, 2021

हर रोज़ इश्क़


उसका बदला मिजाज़ और सच ,
अब सब बदलने लगा हैं ,
जबसे किसी अजनबी से ,
वो हर रोज़ मिलने लगा है ।

मेरी बातें और अनगिनत मुलाकाते ,
क्या वो सब भूल जायेगा ,
या फिर एक और दफा ,
उससे भी मेरे जैसे कसमें खायेगा ।

चंद लम्हों में मुकम्मल इश्क़ को ,
जिंदगी भर का साथ बतायेगा ,
किसी रोज़ उसको भी वो ,
सब ख़त्म कह कर चला जायेगा ।

अजनबी जिसकी पहचान से ,
वो आज तक खुद भी अंजान हैं ,
कहता हैं आज कल सबसे ,
वो अजनबी ही उसकी जान हैं । 

हर दिन और हर रात ,
अब उसके ही किस्से सुनाता हैं ,
भला एक सी बात एक सा इश्क़ ,
कैसे वो हर किसी से कर पाता है ।

मेरे हिस्से की हर खुशी ,
और उसके हिस्से का गम ,
वक्त के साथ सब कम होने लगा हैं ,
जबसे अजनबी को अपना कहने लगा है ।

हर इश्क़ करने वाले की ,
अधूरा इश्क़ ही कड़वी सच्चाई हैं ,
आज तक जिंदगी भर खुशी ,
किस खुशनसीब को मिल पाई है ।।

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