Wednesday, November 10, 2021

सब ख़त्म

मेरी भीगी पलकों पर तेरा तोहफ़ा ,
इश्क़ सा गुजरने लगा हैं ,
आज कल तो दिन रात ,
किसी नदी सा बहने लगा है ।

जिंदगी भर का साथ ,
एक पल में खत्म हो गया ,
जिस पल "सब खत्म" कह कर ,
वो मुझसे गुजर गया ।

था नहीं मालूम खुशी जिंदगी से ,
कुछ इस अंदाज में जायेगी ,
बन कर चंद लम्हों की खुशी ,
ताउम्र का गम छोड़ जायेगी ।

ना पता अब दिन का मेरे ,
ना रात का ठिकाना हैं ,
जिंदगी तो बस जी रहा ,
मौत को भी आना हैं ।

जिस रोज जिंदगी मुझसे ,
सब ख़त्म कहने आयेगी ,
तुझ जैसे मेरी रूह भी ,
एक पल में इस जिस्म को छोड़ जायेगी ।

वादे , इरादे , कसमें और साथ ,
भला कैसे सब एक पल में ,
कोई तोड़ कर जिंदगी से जाता हैं ,
क्या सच में यही इश्क़ सिखाता है ।

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