आकर जो गई तुम मुझसे ,
लगा जैसे कोई खुबसरत लम्हा खो गया ,
मिलते ही जो एक पल में ,
अगले ही पल गुम हो गया ।
तेरे सुकून की तलाश में ,
वक्त उलझने भी बढ़ाता है ,
हर दफा जब वक्त देकर ,
तेरा वक्त बट जाता है ।
मेरी जिस खता से आज तुम ,
मुझसे खफा हो गई हो ,
कुछ हद तक लगा जैसे ,
मुझसे जुदा हो रही हो ।
ना लफ्ज़ सज रहे मेरे ,
ना तुम्हारा दीदार हो रहा ,
इंतजार का हर एक पल ,
मुझपर ही सवाल उठा रहा ।
तुमसे माफ़ी मांगना मेरा ,
आज काफ़ी नहीं होगा ,
मायूस दिल की खामोशी में ,
मेरा कोई साथी नहीं होगा ।
हर जुल्म हर सजा दे दो मुझे ,
मैं सबके लिए तैयार हूं ,
बस लौटा दो अपनी मुस्कुराहट मुझे ,
मैं जिसके लिए बेकरार हूं ।।
No comments:
Post a Comment