Friday, November 19, 2021

तुम हो कौन

चांद हो तुम मेरा ,
या चांदनी रात हो ,
दूर हो कर भी ,
लगती बेहद पास हो ।

सर्द मौसम की गर्माहट ,
या बर्फीले पहाड़ हो ,
हर एहसास जो जुड़े तुमसे ,
वो बेहद कमाल हो ।

सुकून हो तुम मेरा ,
या चैन-ए-करार हो ,
पहली तो बिल्कुल नहीं ,
पर क्या आखिरी इज़हार हो ।

खुशी हो मेरी तुम ,
तुम ही मेरा इकरार हो ,
गुजरते लम्हों के बदले ,
मिला जैसे कोई उपहार हो ।

तुम हो कोई संगीत सी ,
धुन जिसका तैयार है ,
एक और जिंदगी जीने को ,
दिल जिसका बेकरार है ।

तुम से जुड़ी हैं जिंदगी ,
जिसका तुम आधार हो ,
चंद फासलों के बाद भी ,
बाहों में जिसके संसार हो ।।

No comments: