चांद हो तुम मेरा ,
या चांदनी रात हो ,
दूर हो कर भी ,
लगती बेहद पास हो ।
सर्द मौसम की गर्माहट ,
या बर्फीले पहाड़ हो ,
हर एहसास जो जुड़े तुमसे ,
वो बेहद कमाल हो ।
सुकून हो तुम मेरा ,
या चैन-ए-करार हो ,
पहली तो बिल्कुल नहीं ,
पर क्या आखिरी इज़हार हो ।
खुशी हो मेरी तुम ,
तुम ही मेरा इकरार हो ,
गुजरते लम्हों के बदले ,
मिला जैसे कोई उपहार हो ।
तुम हो कोई संगीत सी ,
धुन जिसका तैयार है ,
एक और जिंदगी जीने को ,
दिल जिसका बेकरार है ।
तुम से जुड़ी हैं जिंदगी ,
जिसका तुम आधार हो ,
चंद फासलों के बाद भी ,
बाहों में जिसके संसार हो ।।
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