जो तुम इतनी खफा हो गई ,
हर पल वफ़ा निभाने वाली जिंदगी ,
चंद लम्हों में बेवफ़ा हो गई ।
वादा ना कभी तोड़ा मैंने ,
ना कोई रास्ता मोड़ा मैंने ,
फिर भी क्यों तुम जुदा हो गई ,
किसी बात से तुम खफा हो गई ।
हर जिक्र तेरा मुझको ,
दिन रात अब सताने लगा हैं ,
वफ़ा निभाने पर भी तुझसे ,
मुझे बेवफ़ा बताने लगा हैं ।
ना याद हैं मेरी कोई कसम ,
ना सच तुम मनाने को तैयार हो ,
क्या सच में आज कल तुम भी ,
किसी और इश्क़ के लिए तैयार हो ।
तुम्हारे आने के बाद जिंदगी में ,
मेरे सब बदल गया था ,
पहले से भी ज्यादा ,
अब मैं संभल गया था ।
छोड़ कर बीच रास्ते मुझे ,
मुझसे क्यों तुम इतनी दूर हो गई ,
इश्क़ में भला किसके तुम ,
इतनी मजबूर हो गई ।।
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