Saturday, November 20, 2021

लौट आओ

आज की सुबह ,
हर रोज़ जैसी ना थी ,
होठों पर मुस्कुराहट कम ,
आंखो में नमी थी ।

तुम थी बाहों में मेरे ,
पर दिल में क्यों नहीं थी ,
क्या सच में इश्क़ में मेरे ,
कोई कमी थी ।

रात भर ख़्वाब में ,
बस तुमको देखता रहा ,
सच मान कर ख़्वाब को ,
पलके भिगोता रहा ।

तुम मेरी खुशी हो ,
और मेरे सुकून का सबब ,
तुम हो कितनी अज़ीज़ ,
ये जानता हैं मेरा रब ।

लौट कर बाहों में मेरे ,
आकर फिर से बस जाओ ,
शिद्दत से मुझे भी ,
खुद जैसा इश्क़ सिखाओ ।

सुनो .. इधर आओ ,

ठहर कर इस दिल में ,
दिल को जरा धड़काओ ना ,
एक और दफा सुकून से ,
मेरी खुशी बन जाओ ना ।।

No comments: