Tuesday, November 2, 2021

तेरा तौफा

तौफा मिला मुझे आज ,
जब उसने आने में वक्त लगाया ,
देने को तैयार खड़ा था पता मैं ,
पर वो पूछने कहां आया ।

लगा जैसे पहली बार ,
कोई बिना मांगे कुछ देने वाला है ,
था नहीं मालूम मुझे ,
वक्त नहीं था ऐसा कुछ कहने वाला है ।

पल भर की ख़्वाब वाली खुशी ,
कैसे ताउम्र का गम बन जाती हैं ,
इंतजार में जिंदगी किसी तौफे के ,
बिना मिले ही कट जाती है ।

अब मुश्किल और उलझन से ,
गुजरते तो अरसा हो चला हैं ,
शुक्र है वक्त का मेरे ,
जो अब आगे बड़ चला है ।

कोई कहता हमें तौफा नहीं ,
आप कोई सज़ा सुनाई ,
कौन बताए उनको ,
की एक दफा सज कर तो आइए ।

आप के गुनेहगार भला ,
क्या ही तौफा ले पायेंगे ,
हमेशा की तरह आप के हिस्से ,
वो चंद अल्फाज़ छोड़ जायेंगे ।

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