अपना पता बताने के लिए ,
दुनिया को मेरा पता बता रही थी ,
उस रोज़ जब दुनिया को ,
अपने तौफे के किस्से सुना रही थी ।
पता करू मैं किसका पता ,
पता नहीं किसको क्या क्या पता ,
ये कैसा पता मुझे उलझा रहा है ,
दिल मेरा तेरे पते पर आ रहा है।
उफ्फ .. इसका पता मुझे भी ,
तुम्हारे दिल से पता चला है ,
लेकिन मेरे दिल का पता ,
अब तक तुम्हें कहां पता है ।
तुम्हारा वो पता जिसका पता ,
सिर्फ मुझको पता है ,
कल खामोश क्यों था मैं ,
ये सिर्फ़ हम दोनों को पता है ।
जिस पते पर हो तुम अभी ,
उस पते का पता मुझे पता है ,
पर क्या उस पते पर ,
मेरा कोई तौफा पड़ा है ।
गर नहीं तो ढूंढ लेना उस पते को ,
जो की तुम्हें पता है ,
मेरा पता भी शायद ,
वही पता है ।
वो शहर कौन सा है ,
जिस शहर से तेरा पता जुड़ा है ,
रास्ता जिस शहर का ,
तेरे पते से जाकर मुड़ा है ।
पता नहीं और कौन सा पता ,
दिल को पता लगना बाकी हैं ,
क्या पता दोनों का पता ,
एक हैं .. गर दिल राज़ी है ।।
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