सोचो अगर किसी रोज़ ,
मैं कही सच में खो गया ,
अपने सुकून की जगह ,
किसी और का हो गया ।
सोचो अगर किसी रोज़ ,
तुम मुझसे खफा हो गई ,
या पल भर के लिए ,
बेवजह ही जुदा हो गई ।
सोचो अगर किसी रोज़ ,
कोई तुम्हें मुझसे चुरा ले गया ,
मेरे सुकून को एक पल में ,
हर पल के लिए अपना कह गया ।
सोचो अगर किसी रोज़ ,
कोई मुझे तुमसे चुरा ले गया ,
क्या मुझे ढूंढने तुम आओगी ,
या बिन ढूंढे आगे बढ़ जाओगी ।
क्या तुम भी छोड़ कर मुझे ,
किसी और का हो जाओगी ,
बताना जरूर क्या कभी मुझे ,
किसी और से बांट पाओगी ।
या फिर ,
बन कर मेरा सुकून ,
हर वक्त ऐसे ही उलझाओगी ,
भर कर बाहों में अपने ,
सिर्फ़ अपना कर जाओगी ।
बताना जरूर ........
क्या कभी तुम मुझे ,
किसी और से बांट पाओगी ।।
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