शुक्रिया आप का ,
मुझे मेरे सुकून से मिलवाने के लिए ,
चंद लम्हों में अरसे भर की ,
खिलखिलाहट दे जाने के लिए ।
इन लम्हों को अब मैं ,
अपने पास सजा कर रखूंगा ,
तेरे लौट आने तक ,
दुनिया से छिपा कर रखूंगा ।
रहेगा इंतजार अब मुझे ,
तेरे लौट आने का ,
बेवजह ही किसी गैर को ,
मेरा अपना बताने का ।
वक्त ने आज मेरे हिस्से ,
कुछ वक्त दिया तो हैं ,
तेरी गैर मौजूदगी में भी ,
किसी ने तेरा जिक्र किया तो है ।
जिक्र मैंने भी किया है किसी का ,
पर वो जिक्र आज तेरा नहीं है ,
किस्से कहानियों में हैं जरूर वो ,
पर तुझ जैसे वो मेरा नहीं है ।
सवाल फिर तेरे जहन में आज ,
अनगिनत आ रहे होंगे ,
आखिर तुम्हें छोड़ कर हम भला ,
किसकी कहानियां सुना रहे होंगे ।
रहेगा इंतजार तेरे सवालों का ,
जो इस बार हम दोनों को उलझाएंगे ,
शायद बढ़ती दूरियां और मजबूरियां ,
दर्मियाँ हम दोनों के मिट जाएंगे ।।
No comments:
Post a Comment