Tuesday, November 16, 2021

कल बताऊँगा

तुमसे कहनी हैं एक बात ,
आज कह दूं क्या ,
या छोड़ कर कल पर ,
जिसे रहने दूं क्या ।

दिल से जुड़ा मेरा ,
एक खूबसूरत पैगाम हैं ,
लिखा जो मैंने सिर्फ ,
तुम्हारे नाम हैं ।

ना बात तुम्हारे हाथ ,
थामने से जुड़ी हैं ,
ना बाहों में भरने की ,
कोई मुझे हड़बड़ी हैं ।

आँखों में तुम्हारे ,
छिपा एक पैगाम है ,
लिखा उसमें लेकिन ,
किसी और का नाम है l

होठों पर ये हसीं नहीं ,
तुमने दुनिया बसाई हैं ,
इज़हार-ए -इश्क की दास्तान ,
पूरी कायनात को सुनाई है ।

मुझे भी तुम्हें कुछ,
बहुत जरूरी बताना हैं ,
अपने एक आंजने सच से ,
तुम्हें वाकिफ कराना हैं ।

चलो रहने देते हैँ,
कल पक्का बताऊँगा ,
फुर्सत से मिलने जब ,
तेरे घर आऊंगा ।।

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