Saturday, November 13, 2021

ठहरने आना

वक्त होता नहीं पास कभी ,
वक्त निकालना पड़ता हैं ,
ठहर कर निगाहों में तुम्हारे ,
दिल में तुन्हें उतारना पड़ता है ।

करता हूं कोशिश हर दफा ,
जब भी तुम्हें करीब लाने की ,
ले आती हो जिक्र वक्त के ,
चंद पल में ख़त्म हो जाने की ।

सच कहूं तो सुकून के सिवा ,
कुछ भी और देख नहीं पाता हूं ,
हर दफा जब सुकून की तलाश में ,
तुम्हारे निगाहों में डूबने आता हूं ।

फेर कर उंगलियां चेहरे पर तुम्हारे ,
हर बार जब जुल्फ को सुलझाता हूं ,
हर एक स्पर्श से तुम्हारे ,
मैं ख़ुद ही उलझ जाता हूं ।

थाम कर हाथ मेरा जब सुकून से ,
अपने गालों पर रोक लेती हो ,
मानों जैसे किसी मुसाफ़िर को ,
रास्ते में उसके टोक देती हो ।

फासला अब मिटने लगा हैं ,
और फ़ैसला हमें मालूम नहीं ,
भर कर बाहों में सुकून से ,
ले जायेंगे उन पहाड़ों पे कभी ।

कभी तुम आना फुर्सत से ,
अपना वक्त देने के लिए ,
चंद पल में गुजर जाने नहीं ,
जिंदगी भर ठहरने के लिए ।

कभी आना फुर्सत से तुम ,
सिर्फ मेरी होने के लिए ।।

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