Thursday, November 18, 2021

रंजिश

कुछ पल लगा जैसे वो ,
मुझसे बेहद खफा है ,
आज जब लगी वो दूर ,
मुझसे पहली दफा है ।

खता हुई क्या मुझसे कुछ ,
क्यों वो खामोश खड़ी है ,
क्यों नहीं बढ़ रहे कदम उसके ,
इतनी पीछे क्यों चल रही है ।

आंखो में दुनिया उसके ,
गालों पर सारा नूर हैं ,
बिखरी जुल्फ कांधे पर ,
होठों पर किसका कसूर हैं ।

सारे ख़्वाब और सच ,
सब एक पल में खोने लगे ,
लगा जैसे वो छोड़ कर हमें ,
किसी और के होने लगें ।

उसकी बातें और उसकी मुलाकाते ,
सब आंसू के साथ बह गए ,
जिस रोज़ एक आखिरी दफा ,
वो हमसे अलविदा कह गए ।

रंजिश इश्क़ में भला कभी ,
कहां कोई निभा पाता हैं ,
बिना धड़कन के दिल बेचारा ,
कहां जिंदा रह पता हैं ।

आ जाता हैं कोई और दिल ,
फिर से दिल लगाने को ,
रंजिश की आग बुझा कर ,
इश्क़ सीखना को ।।

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