तुम ही मेरी हर खुशी ,
और हर गम का हिसाब थी ,
तुमसे जुड़ी हर बात ,
मेरे लिए पूरी कायनात थी ।
तुम थी मेरे दिल में ,
और धड़कनों को बढ़ाती थी ,
हर दफा खामोशी से ,
बहुत शोर कर जाती थी ।
तुमसे हर दफा गुजरने पर ,
मैं सुकून से जा मिलता था ,
जब कभी मेरी निगाहों से ,
तू बन कर अजनबी गुजरता था ।
तुमसे इश्क़ के बदले भला ,
कहां कभी कुछ भी मांगा था ,
मैंने तुम्हें ही अपना ,
आख़िरी मुकाम माना था ।
हर शाम के गुजरने पर ,
रात का इंतजार होता था ,
लम्हों के कुछ पल भी ठहरने पर ,
दिल बेकरार होता था ।
छोड़ कर मुसाफ़िर को ,
तुमने रास्ता बदल लिया ,
पलकों पर आंसू और
दिल को जख्मों से भर दिया ।
क्या सच में इश्क़ में ,
अक्सर ऐसा ही होता हैं ,
सच्ची मोहब्बत करने वाले का दिल ,
जख्मों से भरा होता हैं ।।
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