ना मैं तैयार थी ,
ना ही मोहब्बत बेशुमार थी ,
ना थी कोई ख्वाइश अभी ,
जिंदगी भी बेहद गुलजार थी ।
तुम आ गए मेरी जिंदगी में ,
बनकर अधुरे ख़्वाब से ,
उलझते थे खुद से हर दफा ,
मिलते थे जितनी दफा आप से ।
वो पहली रात वो पहली बात ,
वो पहला साथ ,
सब बुरे ख़्वाब सा लगता है ,
हर शख्स अब मुझे आप सा लगता है ।
थे अरमान मेरे भी बहुत ,
मेरे नामंजूरी के बाद भी ,
पर कहां कोई मुझे समझ पाया ,
पहले अपनो ने पराया ,
फिर गैरों ने भगाया ।
एक रोज़ फिर नई शुरुआत ,
सुबह के साथ ,
मैंने दिल को बहुत मनाया ,
था शायद कोई बुरा सपना कल मेरा ,
भूलने का जिसे मैंने मन बनाया ।
तुम आए मेरे जिंदगी में ,
कोई खूबसूरत सा ख़्वाब बन कर ,
मन फिरसे जीने का कर उठा ,
लौटने लगा था भरोसा ,
मोहब्बत से जो था उठा ।
हर सुबह भी तुमसे ,और शाम भी ,
हर जिक्र में तुम ,और तुम्हारा नाम भी ,
बस अब तुमसे मिलने ही वाले थे ,
पर था कहां मालूम हम बिछड़ने वाले थे ।
उस रोज़ खबर आई तुम्हारे जाने की ,
फिर नहीं लौट आने की ,
पर मेरी सांसों और धडकनों से ,
कौन तुम्हें छीन पायेगा ,
सुन कर देखना कभी धडकनों को मेरे ,
तेरा ही नाम आएगा ।।
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