Friday, July 9, 2021

बदनाम

इश्क़ को जिंदा रखने के लिए ,
खुद को जिंदा रखना जरूरी नहीं ,
हां यही आखिरी है इश्क़ मेरा ,
कहना कोई मजबूरी नहीं ।

इश्क़ तो खूबसूरत एहसास है ,
पल भर में जो हो जाता है ,
बदलते धडकनों के शोर के साथ ,
चुपके से किसी में खो जाता है ।

मैंने भी किया था इश्क़ ,
मानों कोई दुआ कबूल हो चली हो ,
मैं बन बैठा हूं हीर ,
और मुझे रांझा मिल गई हो l

मेरे हिस्से की मोहब्बत तो सच्ची थी ,
तेरे हिस्से की फिर झूठी कैसे ,
होती थी जिन बातों से खुश तुम ,
उनसे ही रूठी कैसे ।

है आज भी बहुत कुछ खूबसूरत ,
दरमियान हमारे बताने को ,
एक और दफा ,
सिर्फ तेरा हो जाने को ।

खैर चलो इश्क़ को ,
इश्क़ ही रहने दो ,
बेवजह लोगों को ,
बदनाम ना कहने दो ।।