दिन के आने से पहले ,
रात के गुजरने के बाद ,
बादलों में छिपे तारों के ,
रुक रुक कर टिमटिमाने के साथ ।
कुछ पल में ही ,
सब कुछ बदल गया ,
तारों से चांद ,
जब दिल की बात कह गया ।
ना अब कोई शोर है ,
और ना ही कोई बेकरारी ,
खुमारी और भी ,
चढ़ने लगी है अब तुम्हारी ।
कितना मुश्किल था तुमको बताना ,
हाले दिल इस कदर सुनाना ,
इश्क़ में होकर भी ,
इश्क को ना जताना ।
पर अब ना कोई पर्दा है ,
और ना ही कोई शिकायत ,
तुमसे नहीं खुबसुरत ,
खुदा की कोई और इनायत ।
तुम्हारे खुशियों से ही मेरी खुशियां ,
और तुम्हारे गम से मेरा गम ,
बात देना गर लगे किसी रोज़ ,
मेरी मौजूदगी थोड़ी भी कम ।
तुमको पाने की ख्वाईश नहीं ,
तुमको जीने का सुरूर है ,
इश्क़ दिल को है मेरे ,
इसमें मेरा क्या कसूर है ।
सब कुछ एक पल में ,
कैसे खूबसूरत बन जाता है ,
हर दफा जब हाले दिल ,
चांद तारों को सुनाता है ।।
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