Saturday, July 17, 2021

फिरसे

मिलो ना मुझसे एक और बार ,
बिछड़ने के लिए ,
शिद्दत से एक और दफा ,
प्यार कर के लिए ।

मर मिटने की कसमें ,
आओ चलो फिरसे खाते है ,
कुछ हम तुम्हारी सुने ,
कुछ हम अपनी सुनाते है ।

पकड़ कर बैठेंगे फिरसे ,
वैसे ही तुम्हें बाहों में ,
पर रखना याद रास्तों को ,
क्योंकि फिर छोड़ जायेंगे इन राहों में ।

चलो ना फिर पहाड़ों पर चलते है ,
चांद तारे बन आसमां से मिलते है ,
कहो ना एक और दफा ,
कितनी मोहब्बत आप हमसे करते है ।

चलो लौट जाते है उस दौर में ,
जहां तुम हमे सताते थे ,
बेहद ही सादगी से ,
रूठने पर मानते थे ।

फिरसे पूछो ना वो सवाल ,
जो अक्सर पूछा करते थे ,
हर दफा जब कभी मुझे ,
मायूस देखा करते थे ।

अच्छा सुनो चांद ,
कौन से वाले तारे पर ,
आज कल आप मरते है ,
क्या पता है उन्हें की आप ,
सिर्फ हमसे मोहब्बत करते है । 

हां ये सच है की चांद से ,
हर कोई मोहब्बत कर सकता है ,
पर क्या चांद सिर्फ ,
किसी एक का हो सकता है ।

गर हां .. तो लौट आना !!

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