मुझे इस कदर छोड़ कर ,
बीच रास्ते मुंह मोड़ कर ,
तुम आखिर क्यों चले गए ,
बिन कुछ कहे अलविदा कह गए ।
मैं टूट कर अक्सर बिखर जाता हूं ,
हर दफा जब तुझमें खोने को आता हू,
तुम ना जाने क्यों इतनी जल्दी कर गई ,
जिस्म छोड़ रूह बन गई ।
तुम्हें मालूम भी नहीं ,
मैं कितना अक्सर तुझमें खो जाता हूं ,
हर दफा जब खुद को ,
बगैर तेरे कही पाता हु ।
चलो आज तुमसे वादा करते है ,
मोहब्बत नहीं अब आधा करते हैं ,
बिखर कर फिरसे जुड़ने की कोशिश ,
थोड़ी और जादा करते हैं ।
मेरी मुसकुराहट की वजह हो तुम ,
गम को भला क्यों सौंपी ,
होठों की हंसी हो तुम ,
आंखो की नमी इन्हें क्यों कह दू ।
आज अभी इस पल से ,
मैं सिर्फ तुम्हारा हूं ,
लिए तैयार यादों का पिटारा ,
जो ताउम्र बनेगा मेरा सहारा ,
बस तुम अब कभी दूर मत जाना ,
रूह हो रूह में मेरी बस जाना ।
मुस्कुराओ जरा और जोर से ,
मुझे तुम्हें दुनिया को सुनाना हैं ,
जिंदा हो जिक्र में मेरे हर पल ,
अमर जिसे बनाना है ।।
No comments:
Post a Comment