Sunday, July 25, 2021

ख़्वाब में तुम

आज पहली दफा मिल रहा था मैं ,

उनसे ख्वाबों में ,

उलझने लगा था ,

अपने ही पूछे सवालों में ।


मेरे लिए अब वो एक ख़्वाब सा,

बन कर रह गई थी ,

एक अरसा बीत गया था ,

जबसे वो खामोश रह रही थी ।


वो हुबहू तो बिलकुल वैसी थी ,

ख्यालों मे रहती जैसी थी ,

बस फर्क था उसकी आंखो के रंग में ,

और पराया कर जाने वाले ढंग में ।


आकर मेरे पास ,

वो कुछ पल सुकून से बैठी थी ,

ये बात ख्वाबों में भी ,

ख़्वाब के सच होने जैसी थी ।


पूछ बैठी एक और सवाल ,

मेरे थोड़ा और करीब आकर ,

दे दिया मैंने भी जवाब ,

गुजरते लम्हों में थोड़ा हिचकिचा कर ।


चांद तुम कब तक ऐसे ही ,

मेरा साथ निभाओगे ,

या उन अनगिनत तारों की तरह ,

गुजरते वक्त के साथ ,

मुझे भी छोड़ जाओगे ।


मैंने मुस्कुरा कर फिर से ,

उन्हें अपना हाले दिल सुनाया ,

जान कर मेरे जवाब को ,

वो भी थोड़ा मुस्कुराया ।


हर लम्हा हर एहसास ,

अब तक यूहीं जहन में ताजा है ,

बन बैठा तेरा और दीवाना ये दिल ,

जिस कदर मेरी मौजूदगी को ,

ख्वाबों में तुमने नवाजा है ।

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