पायल जो उसके पांव में ,
अक्सर खनका करती थी ,
हर दफा जब कदमों से ,
बातें वो किया करती थी ।
हर पग में होता एक पैगाम था ,
लिखा जो सिर्फ मेरे नाम था ,
पर अब पायल टूट गई ,
शायद वो कदमों की खामोशी से रूठ गई ।
अब ना कोई पैगाम आता ,
ना ही मेरा जिक्र किसी शाम आता ,
ना ही वो खनक सुनाई देती ,
बातें जिनसे दरमियान होती ।
सुना है पायल फिरसे उनके पावों में ,
खामोशी को तोड़ रही है ,
कदमों के हर शोर से ,
वो कुछ बोल रही है ।
पर अब खनक किसी और के ,
नाम की सुनाई देती है ,
ये पायल भी किसी और के ,
खुशियों की दुहाई देती है ।
बट गया था मैं तो पहले ही ,
आज मेरी पायल भी बट गई ,
इश्क़ की आखिरी निशानी भी ,
कदमों से उनके हट गई ।
अब ना वो खनकेगी कभी ,
ना ही मेरे लिए कोई पैगाम होगा ,
हर खनक पर नई पायल के ,
सिर्फ उसे देने वाले का नाम होगा ।
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