मुझे इश्क जो हो रहा है ,
किससे हो रहा है आज कल ,
क्यों कहानियों कविताओं में ही ,
जी रहा जिन्हें मैं हर पल ।
है सवाल लाज़मी पूछना दिल से ,
वो भी ना जाने क्यों ,
आज कल बदला सा लग रहा ,
वो धड़क कम और मचल जादे रहा ।
उसकी बातों से हो रहा इश्क़ हमें ,
या उसकी मुस्कुराहट का जादू है ,
या उसकी आंखों के रंग का कमाल कहें ,
जो कर रहा हमें इश्क़ में बेकाबू है ।
कहीं मौजूद गालों पर तिल ,
या है उसकी बिखरी जुल्फे ,
या माथे की बिंदिया ,
तो इश्क़ की वजह नहीं ।
सोचना जरूर ,
गर इश्क़ में हो किसी के ,
वजह क्या है ,
जो निभा रहे इसे इतनी खुशी से ।
इस महफिल में मौजूद हर शख्स ,
शायद अपने इश्क़ की वजह से अंजान होगा ,
सोचना जरूर धड़कता है दिल क्यों ,
मोहब्बत करना और आसान होगा ।।
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