मेरे जाने के बाद भी ,
महफिलों में आओगी क्या ,
मुझ जैसे किसी और को भी ,
सताओगी क्या ?
मेरी बातें जो होने लगी महफिलों में ,
उन्हें झुठलाओगी क्या ,
बेवजह वहा भी किसी से ,
उलझ जाओगी क्या ?
वहां हर शख्स ,
तुम्हें पहचानता होगा ,
थोड़ा भी गर मेरे मौजूदगी की ,
वजह वो जानता होगा ।
गर मेरे जाने की ,
वजह वो तुम्हें मानता होगा ,
कैसे उनकी बातों को झुठलाओगी ,
क्या एक दफा फिर मुझे ठुकराओगी ।
मेरे जाने के बाद भी ,
इन महफिलों का,
सिलसिला यूंही चलता रहेगा ,
कोई मिलता कोई बिछड़ता रहेगा ।
आना जरूर मेरी गैर मौजूदगी में ,
इन महफिलों की शान बढ़ाने ,
जान कर भी मेरे अपनो को ,
मुझ जैसे उन्हें अजनबी बनाने ।
आना जरूर मेरी गैर मौजूदगी में ,
इन महफिलों की शान बढ़ाने ।।
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