पहले भी बरसे हो तुम ,
बादलों से टूट कर ,
बिन मौसम भी आए हो ,
अपने इश्क़ से रूठ कर ।
पर इस दफा जो तुम आए हो ,
संग अपने एक तूफान लाए हो ,
भीग रहा हर शख्स जिसमें ,
जिससे भी इश्क़ कर के आए हो ।
तेरा इंतजार पहले से अब ज्यादा है ,
बताना आखिर तेरे क्या इरादें हैं ,
वो भी भीगती है अब संग मेरे ,
जिसके बगैर हम आधे हैं ।
हमारे इश्क की कहानी का ,
तुम बहुत अहम हिस्सा हो ,
अल्फाज़ के श्रृंगार से जुड़ा ,
एक अनकहा किस्सा हो ।
तुम आए तो मिली मोहबब्त मुझे ,
किसी अधूरे अंधेरी रात में ,
थे पड़े लावारिस हम सड़क पर ,
लिए जख्मों के निशा साथ में ।
देखो अब वो तुमसा बनने लगी हैं ,
आकर जबसे बरसने लगी हैं ,
मोहबब्त तुमसे भी ज्यादा ,
अब वो किसी और करने लगी हैं ।
रिमझिम रिमझिम सा एहसास ,
बूंद बूंद जज़्बात बना रहें हैं ,
हवा के झोंके की हर छुअन में ,
वो बरसने को आ रहें है ।
बारिश सी मोहब्बत मेरी ,
किसी बारिश में ही मिली थी ,
आज बन कर बारिश ,
मुझ पर वो बरस रही थी ।।
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