बिछड़ने का मजा भला ,
कभी मिलने में मिला है क्या ,
अधूरे इश्क़ से खूबसूरत हादसा ,
आज तक कोई हुआ है क्या ?
सब दौड़ रहे थे जिंदगी में ,
हम भी तो भाग रहे थे ,
भूलने की चाहत में तुझे ,
हर किसी से दिल लगा रहे थे ।
मिली मोहबब्त भी बेशुमार ,
तुझसे दूर जब हम जाने लगे ,
होने लगा था इश्क़ भी अब शुरू ,
मुकम्मल जिसे हम कर जाने लगे ।
पर तेरी एक झलक ने ,
फिरसे मुझे मुझसे उलझा दिया ,
खूबसूरत से उस सफरनामे को ,
मैंने एक पल में झुठला दिया ।
मेरा जिस्म और मेरी रूह ,
अब दोनों में तुम घुल चुके हो ,
अधूरे इश्क़ की अधूरी दास्तां ,
तुम मेरा बन चुके हो ।
भला कैसे कोई ज़हर इतना ,
इस कदर असर कर सकता है ,
असरदार जिंदगी के लम्हों को ,
एक पल में बेअसर कर सकता है ।
तुमसे मोहबब्त इतनी गहरी ,
कैसे भला हम कर बैठें ,
इश्क़ में जिंदा रहने की कोशिश में ,
खुद का कत्ल कर बैठें ।।
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