Friday, September 24, 2021

कल रात

तुम इसे आखिरी दफा ,
अब मान लेना ,
मेरी कोई आखिरी ख्वाइश ,
जिसे जान लेना ।

मांगा था पहली दफा ,
तुम्हारे वक्त का हिस्सा ,
करना था मुझे पूरा ,
अधुरा जो रह गया किस्सा ।

ये रात लगी लंबी मुझे ,
इस दफा तेरे इंतजार में ,
हर रात से अलग थी ये रात ,
जो कट रही थी तेरे प्यार में ।

ख्वाबों में तेरा जिक्र ,
पूरी रात मुझे आता रहा ,
पहली दफा तेरा इश्क़ मुझे ,
इस कदर सताता रहा ।

नींद सी मोहब्बत अब मैं ,
तुमसे करने लगा था ,
फुर्सत मिलते ही जिंदगी से ,
तुझमें खोने लगा था ।

पहेली से आज़ाद नहीं ,
मुझे इसमें कैद होना था ,
अल्फाज़ बन कर उसका ,
इन लम्हों को जीना था ।

पल कभी अब ये लौट कर ,
गुजरे वक्त सा आयेगा नहीं ,
तुझसे मांगू वक्त कभी और ,
अब ये हो पायेगा नहीं ।।

No comments: