Wednesday, September 15, 2021

इश्क़ का कारोबार

इश्क़ भी एक सौदा ही तो है ,
जिसमें नफा नुकसान वाज़िब हैं ,
मुकम्मल हो जाए तो वाह वाह ,
गर नहीं तो कालिख है ।

गुमनाम रास्ते और अंजाने चहरे ,
आज कल तो बेहद आम हैं ,
इश्क़ में पड़ने ही दिल ,
हो जाता किसी का गुलाम है ।

कीमत अदा भी देखो भला ,
कैसे आशिक़ किया करते हैं ,
कोई करता कुर्बान खुशियां ,
कोई जिस्म की नुमाइश करते हैं ।

आज कल इश्क़ में बिछड़ना ,
देखो कितना भाने लगा है ,
सुबह वाली मोहब्बत किसी से ,
शाम को कोई और ,
दिल धड़काने लगा है  ।

कितना आसान अब इश्क़ ,
और उसके मायने लग रहे हैं ,
हर रोज़ इश्क़ आखिरी कह कर ,
फिर किसी के इश्क़ में पड़ रहें हैं ।

अंधा हैं इश्क़ भी ,
और धुंधला इसका कारोबार ,
बड़ी मुश्किल से मिलता हैं ,
इतने मुनाफे वाला कोई व्यापार ।।

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