इश्क़ के कारोबारी को ,
उसका नफा नुकसान भाता है ,
जिस्म से मतलब नहीं ,
उसे तो रूह में बसना आता है ।
लोग सूरत देख कर ,
सीरत को खूबसूरत बताते हैं ,
इश्क़ के व्यापारी ,
सूरत देख ही कहां पाते है ।
शोर हो या हो कोई सन्नाटा ,
उन्हें हर शख्स भा जाता हैं ,
इश्क़ अधूरा गर जिंदगी में ,
किसी रोज़ किसी के रह जाता है ।
खुशियां देने का दाम ,
उनको भी मिलता है ,
कोई देता बेहद मोहब्बत ,
तो कोई बेवफा निकलता हैं ।
हर दफा टूट कर इश्क़ करना ,
आसन नहीं होता ,
नफा नुकसान से जिसके ,
व्यापारी कभी अंजान नहीं होता ।
हर इश्क़ में पड़ने वाले का ,
ये इकलौता कारोबार नहीं होता ,
कुछ होते है सिर्फ़ सौदागर ,
जिनका इश्क़ व्यापार नहीं होता ।।
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