Sunday, September 12, 2021

मैं बदलने लगा हूं

तुमसे मिलना मेरे मुकद्दर में था ,
या मैंने अपनी तकदीर बनाई है ,
तेरी छाव से गुजरा हु जबसे ,
संग मेरे चल रही तेरी परछाई है ।

तुमसे सीख रहा जिंदगी के मायने ,
तुम को ही जिंदगी बना रहा ,
हर सांस में बस रही हो तुम ,
जबसे जिक्र बस तेरा आ रहा ।

ना अब खुद से लड़ता हु ,
ना ही बची है कोई शिकायत ,
मिल गई मुझे जबसे ,
खुदा की सबसे खूबसूरत इनायत ।

मेरे खुशियों में तुम साथ होती हो ,
गम को भी मेरे बांट लेती हो ,
बदलने सा लगता हु मैं ,
जब जब तुम मेरे पास होती हो । 

तुम चांद के उस सूरज सी ,
मुझे लगने लगी हो ,
रात के अंधेरे में छिप कर ,
मुझे रौशनी से भरने लगी हो ।

तुमसा था नहीं कोई अब तक ,
जिसने मुझे मोहबब्त को ,
इस तरह जीना सिखाया हो ,
मोहबब्त होती है खूबसूरत ,
कर के जिसने बताया हो ।।

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