Thursday, September 9, 2021

रक़ीब

दिल में बसी तस्वीर तुम्हारी ,
धड़कनों पर किसी और का नाम है ,
मोहब्बत में आज कल ,
ये सिलसिला बेहद आम है ।

तुम्हारे इश्क़ में पड़ा हू मैं ,
आंखे किसी और की भी पढ़ रहा ,
मोहब्बत तुमसे करता मैं बेपनाह ,
बस थोड़ी सी इश्क़बाजी उनसे कर रहा ।

तुम मेरी दुनिया हो और रहोगी ,
क्या सच में मुझे बेवफा कहोगी ,
क्योंकि इश्क़ तो सिर्फ मुझे तुमसे है ,
चंद लम्हों की सौदेबाजी उनसे है ।

तुम मेरी जिक्र हो और 
तुम ही हो मेरी कल्पना ,
मोहबब्त करता हूं जिससे ,
बेइंतहा और बेपनाह ।

क्या इतना भी तुम्हारे लिए ,
लगता तुम्हें कम है ,
तोड़ा है दिल मैंने तो उसका ,
तुम्हारी आंखे क्यों नम हैं ।

इश्क़ में तुमने भी तो ,
मुझे कितना बर्बाद किया है ,
ठीक वैसे ही जैसे मैंने ,
ये जुल्म उसके साथ किया है ।

रक़ीब है वो मेरा ,
या तुम्हारा मैं रकीब हूं ,
देखो इश्क़ पाकर भी पूरा ,
मैं कितना बदनसीब हूं ।।

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