Wednesday, September 29, 2021

कुछ नहीं बचा

ना किसी की मौजूदगी ,
ना ही किसी का आना ,
ना कोई खुशी की वजह ,
ना ही किसी से दिल लगाना ।

ना मुझे सुकून आता है ,
ना बेकरारी जाती है ,
ना उतरती खुमारी ,
ना ही वो मेरे पास आती है ।

ना दिल पूछता कोई सवाल ,
ना कोई जवाब होता है ,
ना कोई हाले दिल जानता ,
ना किसी को याद होता है ।

ना मिलता किसी से दिल ,
ना कोई दिल लगाता है ,
ना किसी से उलझता ,
ना किसी को सताता है ।

ना अब धड़कन का शोर हैं ,
ना ही दिल पर किसी का जोर है ,
ना कोई दिलबर है दिल लगाने को ,
ना ही दिल बचा है किसी का हो जाने को ।

ना जिस्म में अब जान बची है ,
ना ही वो पास खड़ी है ,
ना ही इश्क़ कोई अधुरा है ,
ना ही करना जिसे पूरा है ।

अब कुछ भी बचा नहीं ,
इस ना को हां बनाने में ,
बेहतर होगा जिंदा लाश को ,
किसी कब्र में दफनाने में ।।

No comments: