Thursday, September 23, 2021

चाय और तुम

गर है मोहब्बत तो कह दो ,
उलझाओ मत कहीं ,
वक्त ना निकल जाए ,
और तुम रह जाओ यहीं ।

चाय के प्याली की गर्माहट ,
कहीं ठंडी ना हो जाए ,
ताज़गी खत्म चाय की ,
कहीं जल्दी ना हो जाए ।

सफ़र में हमसफ़र बनने की ,
ख्वाइश हर कोई जताता है ,
पर इश्क़ में पड़ने के बाद ,
अक्सर वो बेखबर हो जाता है ।

ना रहता याद इश्क उसे ,
ना ही वादे वो निभाता है ,
चाय से चायपत्ती की तरह ,
अक्सर फेक दिया जाता है ।

पर दिल का मारा ,
भला और कैसे जिंदा रहेगा ,
रंग इश्क़ का जो ,
उस चाय की तरह चढ़ेगा ।

इश्क़ में फिर पड़ने लगा है ,
जबसे वो लबों से गुजरने लगी है ,
चाय सी कड़क मोहब्बत ,
अब वो भी करने लगी है ।।

No comments: