Friday, September 24, 2021

अंजान लड़की

देखो कितना वो मुस्कुराती है ,
हर दर्द चुपके से छिपाती है ,
कभी बिंदी कभी झुमके से ,
खुद को सजाती है ।

है मुश्किल रास्ते जिसके ,
आसान जिन्हें दुनिया को बताती है ,
जंग जिंदगी का अक्सर ,
खुद से लड़ते चली जाती है ।

इश्क़ मुकम्मल होता नहीं ,
फिर भी शिद्दत से निभाती है,
अक्सर तोड़ कर दिल अपना ,
इश्क़ में पड़ जाती है ।

ना मंजिल का पता ,
ना ठिकानों का कोई बसेरा है ,
अधूरे इश्क़ और कहानियां ने ,
बस उसे घेरा है ।

देखो मेरी निगाहों से खुद को ,
तुम्हारे आईने सी तस्वीर नजर आएगी ,
झूठी मुस्कान और अधूरी खुशियों ,
की दास्तां चीख चीख जो सुनाएगी ।

एक दफा इश्क़ को खुद से ,
शिद्दत से निभा के देखना ,
सब कुछ बदल जायेगा ,
तुमसा मोहब्बत वो भी करने लग जायेगा ।।

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