Wednesday, September 22, 2021

चूड़ियां

तुम सज धज कर उस रोज़ ,
खुशियों का हिस्सा बनी थी ,
हाथों में तुम्हारे चूड़ियां भी ,
क्या खूब जच रही थीं ।

आंखो से पढ़े तो कुछ ,
होठों से कुछ और ,
बड़ी मुश्किल से था गुजरा ,
जिंदगी का वो दौर ।

तेरे श्रृंगार में था सब सजा ,
बस तेरे रूह को छोड़ कर ,
चूड़ियों की खनखनाहट खो गई ,
जब गया वो मुंह मोड़ कर ।

तुमसे मिला चंद रोज़ बाद ,
जब ये हादसा हो चला था ,
ख़्वाब को सच मान कर ,
तुझसे इश्क़ कर रहा था ।

निगाहों से शरारत कर के ,
एक और जुल्म तुम करा रही थी ,
चूड़ियों की खनखनहाट से ,
हाले दिल बता रही थी ।

हाथों में चूड़ियां तुमने ,
फिरसे जो सजाई थी ,
बेहद सादगी से मेरे हिस्से की ,
मोहब्बत मुझे लौटाई थी ।

खनकने लगी चूड़ियां ,
फिरसे तुम्हारे हाथ में ,
मिलने लगी खुशियां मुझे ,
इश्क़ के सौगात में ।।

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