मुझे मेरा इश्क़ लौटा दो ,
मेरे हिस्से की मुझे वफा दो ,
दो लौटा मेरा हर एक पल ,
छोड़ आए तुम जिन्हें कल ।
मैं सिसक सिसक कर ,
अपना दर्द छिपा रही हु ,
बह जाने के डर से ,
काजल नहीं लगा रही हु ।
तुम ख़्वाब बन कर मेरे ,
हकीकत से मिल रहे थे ,
हकीकत को ख़्वाब समझ ,
हम तुझमें खो रहे थे ।
एक नज़र के फेर ने ,
नज़र ऐसा कुछ मुझसे चुराया ,
ख़्वाब जो लगने लगे थे हकीकत ,
एक पल में जिसे वो तोड़ आया ।
किस्मत ने मेरे हिस्से ,
तेरे छुअन को कुछ ऐसे लिखा था ,
बहने पर आंखो से आंसू ,
पलकों से तू मिट रहा था ।
मेरे श्रृंगार में काजल ,
सबसे अलग है ,
और तो है रंग बिरंगे ,
बस तू ही एक रंग है ।।
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